हिंदी में शायरी
खबर पूछते चलो...
अब आयें या न आयें इधर... पूछते चलो,
क्या चाहती है उनकी नजर पूछते चलो,
हमसे अगर है तर्क-ए-ताल्लुक तो क्या हुआ,
यारो कोई तो उनकी खबर पूछते चलो।
~ साहिर लुधियानवी
फिर पा न सकोगे...
खोकर हमें फिर पा न सकोगे,
जहाँ हम होंगे वह आ न सकोगे,
हरपल हमें महसूस तो करोगे लेकिन
पर हम होंगे वहां जहाँ से
हमें फिर बुला न सकोगे।
हजारों ने लूटा...
मौसम को मौसम की बहारों ने लूटा,
हमें तो कश्ती ने नहीं किनारों ने लूटा,
आप तो डर गए हमारी एक ही अदा से,
हमें आपकी कसम देकर हजारों ने लूटा।
बिखर जायें हम तो क्या...
ज़िंदा रहे तो क्या है जो मर जाएं हम तो क्या,
दुनिया से खामोशी से गुजर जाएं हम तो क्या,
हस्ती ही अपनी क्या है इस ज़माने के सामने,
एक ख्वाब हैं जहान में बिखर जायें हम तो क्या।
बिखर जायें हम तो क्या शायरी
उम्मीदों के मुकाम...
चाहत की राह में बिखरे अरमान बहुत हैं,
हम उसकी याद में परेशान बहुत हैं,
वो हर बार दिल तोड़ता है ये कह कर,
मेरी उम्मीदों के अभी मुकाम बहुत हैं।
हिंदी में सैड शायरी
वो खुद नहीं आता...
कभी यादें कभी आँखों में पानी भेज देता है,
वो खुद आता नहीं अपनी निशानी भेज देता है।
इस दौर में...
इस दौर में अहसास-ए-वफ़ा ढूँढने वालो,
सेहरा में कहाँ मिलते हैं दीवार के साए।
इस दौर में शायरी
इल्जाम ना देना तुम...
कुछ रिश्तों को कभी भी नाम ना देना तुम,
इन्हें चलने दो ऐसे ही इल्जाम ना देना तुम,
ऐसे ही रहने दो तुम तिश्नग़ी हर लफ़्ज़ में,
कि अल्फ़ाज़ों को मेरे अंज़ाम ना देना तुम।
दरिया से प्यासा निकला...
तिश्नगी जम गई पत्थर की तरह होंठों पर,
डूब कर भी तेरे दरिया से मैं प्यासा निकला।
~ जिगर मुरादाबादी
मंजिल भी उसी की थी...
मंजिल भी उसी की थी रास्ता भी उसका था,
एक हम अकेले थे काफिला भी उसका था,
साथ साथ चलने की कसम भी उसी की थी,
और रास्ता बदलने का फैसला भी उसका था।